पूरा नाम अबुल-फतह जलाल-उद्दीन मोहम्मद अकबर
किस रूप में जाना जाता है अकबर महान
शासनकाल 11 फरवरी 1556 से 27 अक्टूबर 1605
जन्म 14 अक्टूबर 1542 (अमरकोट सिंध)
मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 (फतेहपुर सीकरी, आगरा)
दफन सिकंदरा, आगरा
धर्म इस्लाम, दीन-ए इलाही
राजवंश मुगल राजवंश
राज्याभिषेक 14 फरवरी 1556
पूर्वज हुमायूँ
उत्तराधिकारी जहाँगीर
राज्य संरक्षक बैरम खान (1556-1561)
पत्नी रूकैया सुल्तान बेगम
पत्नियाँ पत्नी हीर कुँवारी, हीरा कुँवारी, हरका बाई, जोधा बाई, सलीमा सुल्तान बेगम
पिता हुमायूँ
माँ हमीदा बानो बेगम
दादा बाबर
दादी महम बेगम
बच्चे जहाँगीर, दानियाल, सुल्तान मुराद मिर्जा, हवर्ष, हुसैन
विवाह नबंवर 1551 में अकबर ने काबुल में अपनी चचेरी बहन, रुकैया सुल्तान बेगम से शादी की। रुकैया अकबर की मुख्य पत्नी थीं।
युवा सम्राट हुमायूँ की मृत्यु के बाद, 13 वर्षीय अकबर को बैरम खान द्वारा पंजाब के कलानौर में ताज पहनाया गया था। जब तक अकबर स्वतंत्र रूप से शासन करने में सक्षम नहीं हो गए, तब तक बैरम खान ने राज्य के मामलों में फैसला किया।
दिल्ली को पुनः प्राप्त करना 5 नवंबर 1556 को, हेमू और सूर की सेना अकबर की सेना से हार गई थी, जिसने पानीपत के द्वतीय युद्ध में बैरम खान का नेतृत्व किया था।
बैरम खान को पद से हटाना अकबर ने अपनी धाय माँ, माहम अनगा की सलाह पर उनके संबंधी बैरम खान को वर्ष 1560 में पद से हटा दिया था।
मध्य भारत में विस्तार वर्ष 1564 में, मुगल सेनाओं द्वारा गोंडवाना साम्राज्य पर विजय प्राप्त की थी।
हल्दीघाटी का युद्ध वर्ष 1576 में मुगलों ने हल्दीघाटी के युद्ध में उदय सिंह के पुत्र और उत्तराधिकारी प्रताप सिंह को हराया।
बलूचिस्तान पर विजय मुगल साम्राज्य ने बलूचिस्तान पर भी विजय प्राप्त की थी।
सफाविद और कंधार वर्ष 1558 में, तहमासप I, सफ़ाविद सम्राट, कंधार को पछाड़ दिया और इस मुगल शासक को परास्त कर दिया।
कर निर्धारण अकबर ने कर के वार्षिक मूल्यांकन को अधिकार के रूप में अपनाया, लेकिन यह वर्ष 1580 में विफल हो गया। इसके बाद उन्होंने दहसला नामक व्यवस्था को शुरू किया । अकबर शायद अपने राजस्व अधिकारियों के लिए एक लक्ष्य-आधारित पारिश्रमिक प्रणाली का प्रयोजन करने वाले पहले सम्राट थे। इसमें राजस्व अधिकारियों केवल तीन-चौथाई वेतन प्राप्त करना होता था और शेष राशि तब ही देनी होती थी, जब राजस्व लक्ष्य निर्धारित होते थे।
राजधानी वर्ष 1599 में आगरा को राज्य की राजधानी बनाया गया था।
सिक्का अकबर द्वारा चलाए गए सिक्के गोल और चौकोर थे और उनके किनारे पर बिंदु, फूलों का रूपांकन और चौपतिया छिद्र बने थे। उन्हें ‘मेहराब’ आकार में भी डिजाइन किया गया था।
विद्वानों के संरक्षक अकबर ने मुस्लिम विद्वानों जैसे ताहिर मुहम्मद थतवी और मीर अहमद नसरलाह थतवी को संरक्षण दिया।
दीन-ए-इलाही अकबर ने 1582 ईस्वी में एक समरूप धर्म दीन-ए इलाही का प्रतिपादन किया, लेकिन समय से पहले ही उनका यह विचार विफल हो गया।
हिंदुओं के साथ संबंध अकबर ने घोषित किया कि धर्म परिवर्तन न करने वाले हिंदू लोगों को कोई मौत की सजा नहीं दी जाएगी। अकबर ने दिवाली का त्यौहार मनाया। ब्राह्मणों के आशीर्वाद के माध्यम से उनको कलाई में कलावा पहनने की इजाजत दी गई थी। गाय के माँस का त्याग करने के लिए कहा गया था और उन्होंने कुछ दिनों के लिए माँस की बिक्री पर रोक लगा दी थी।
साहित्य में उल्लेख अबुल फजल द्वारा आइने-ए-अकबरी और अकबरनामा तथा बदायुनी द्वारा शेखजादा रशीदी और शेख अहमद सरहिंदी पुस्तकें लिखी गई। अकबरनामा में फारसी में अकबर की जीवनी है
मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 में महान सम्राट अकबर की मृत्यु हो गई। उनका दफन कक्ष सिकंदरा, आगरा में एक मकबरे के रूप में बनाया गया है।